Thursday, 21 July 2016

खुद के नशे में

मै खुद के नशे में इतना हूँ साकी
तेरा मयकदा होश मे लग रहा है.

आँखों से पिता रहा हूँ मै साकी ,
तेरा जम आज फिक्का लग रहा है.

संसो को  सांसो से पीलें ओ साकी,
वक्त हम पर आज महेरबां लग रहा है.

नजाकत से इस तरह देखो ना साकी
खुदा भी तुम्हारा गुन्हेगार लग रहा है.

मुझे मौत के साथ ज़ुमने दो ओ साकी,
यहीं जिन्दगी का पैगाम लग रहा है.

तम्मना ओ की बोतले फेंक दो अब साकी,
शराब तेरी आंखो में महफूज़ लग रहा है .

मेरी धड़कन अब तुम में बजे साकी,
मेरी सांसो का मय तेरा लग रहा है.

पिलादे कोई नूर की सूरा साकी,
हर सुर में तेरा नूर लग रहा है.

तू फुल बनके मुज़े संभल लेना साकी,
मेरा ओंस होना तय लग रहा है.
– आनंद ठाकर

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